Business Trade and Commerce Notes in Hindi
वे सभी क्रिया है जो धन कमाने आए कमाने के उद्देश्य से लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती है उसे व्यवसाय कहते हैं व्यवसाय में व्यापार रोजगार पीसा एवं सभी औद्योगिक क्रियाओं को शामिल किया जाता है मुझे लगता है की आपको इस लेख को पढने के बाद business trade and commerce class 11 notes in hindi के बारे में पता लग जायेगा
व्यवसाय की सहायक क्रियाएं (Business assistants in hindi)
वे सभी क्रियाएं जो व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक होती हैं व्यवसाय की सहायक क्रियाएं कहलाती हैं
सहायक क्रियाएं 5 प्रकार की होती है
बीमा – यह सुरक्षा प्रदान करती है
बैंक – पूंजी या वित्त की समस्या का समाधान करता है
परिवहन – वितरण की समस्या का समाधान अर्थात वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का कार्य परिवहन कहलाता है
भंडारण – माल के संग्रहण की समस्या का समाधान करता है
विज्ञापन – संदेश वाहन या संचार की समस्या का समाधान करता है
व्यवसाय की विशेषताएं (Business features)
- व्यवसाय एक सामाजिक व मानवीय क्रिया है
- व्यवसाय एक आर्थिक क्रिया है
- व्यवसाय निरंतर चलने वाली क्रिया है
- व्यवसाय में उपयोगिता का सृजन होता है
- व्यवसाय का उद्देश्य लाभ कमाना है
- व्यवसाय में वस्तुओं का उत्पादन सेवाओं का उत्पादन वितरण एवं विनिमय में होता है
- ग्राहक संतुष्टि व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य होता है
Why is it important to make a profit in business in hindi
- जीवन यापन के लिए
- व्यवसाय का अस्तित्व बचाए रखने के लिए
- नवप्रवर्तन करने के लिए
- व्यवसाय का विकास व विस्तार करने के लिए
पेशा (Profession) – वह क्रिया या व्यवसाय जिसमें विशिष्ट ज्ञान एवं योग्यता प्राप्त करके एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है या परामर्श देता है तथा बदले में पारिश्रमिक के रूप में शुल्क प्राप्त करता है
Characteristics Of Profession
पेशे में विशिष्ट ज्ञान एवं योग्यता की आवश्यकता होती है प्रशिक्षण एवं अनुभव के लिए औपचारिक शिक्षा संस्थानों की आवश्यकता होती है जैसे डॉक्टर के लिए मेडिकल कॉलेज वकील के लिए लॉ कॉलेज बीसीए के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्था
- पेशे में आचार संहिता लागू होती है आचार संहिता में पंजीयन ड्रेस कोड आदि को शामिल करते हैं
- पेशे का उद्देश्य सामाजिक सेवा करना है
- पारिश्रमिक के रूप में शुल्क प्राप्त होता है
- रोजगार – इसमें व्यक्ति पारिश्रमिक के रूप में वेतन या मजदूरी प्राप्त करता है यहां पर शारीरिक कार्य करने पर मजदूरी प्राप्त होती है तथा मानसिक कार्य करने पर वेतन प्राप्त होता है
- रोजगार में एक व्यक्ति दूसरे के लिए कार्य सेवाएं प्रदान करता है
व्यक्तिगत सेवा (Personal service) – कर्मचारी को रोजगार में स्वयं उपस्थित होकर सेवा देनी पड़ती है अर्थात अपने स्थान पर अपना कार्य दूसरे व्यक्ति से नहीं करवा सकता है
रोजगार में नियोक्ता एवं कर्मचारी के मध्य अनुबंध होता है इस अनुबंध में निम्न बातें शामिल होती हैं या नौकरी की प्रकृति स्थाई या अस्थाई हो सकती है वेतन या पारिश्रमिक संबंधी शर्तें भी हो सकती हैं
- यहां अवकाश या छुट्टी संबंधी शर्तें भी होती हैं
- नौकरी के दर्जे में जो व्यक्ति स्वामी के पास कार्य करता है वह नौकर कहलाता है
- रोजगार में पूंजी की आवश्यकता नहीं होती है
- रोजगार में कोई भी जोखिम नहीं होती है क्योंकि जोखिम स्वामी में नहीं होती है अर्थात स्वामी की होती है न की कर्मचारी की
उद्योगों को तीन भागों में बांटा गया है
- प्राथमिक उद्योग
- द्वितीयक उद्योग
- तृतीयक उद्योग
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