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Tata Sons IPO: आया बड़ा अपडेट, जानकार हो जाएँगे हैरान

Tata Sons IPO: Big update has come, you will be surprised to know

टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी Tata Sons का IPO भारतीय शेयर बाजार में चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। हालांकि, RBI द्वारा शेयर लिस्टिंग से छूट देने के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद, टाटा संस को सितंबर 2025 तक नियामकीय नियमों का पालन करना होगा।

IPO में देरी क्यों?

Tata Sons को Upper Layer Non-Banking Financial Company (NBFC) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

  • RBI के नियमों के तहत, इस श्रेणी के NBFCs को तीन साल के भीतर लिस्ट होना अनिवार्य है।
  • सितंबर 2024 में, टाटा संस ने NBFC लाइसेंस सरेंडर करने का अनुरोध किया ताकि इसे एक होल्डिंग कंपनी के रूप में पुनर्गठित किया जा सके।
  • कंपनी ने ₹20,300 करोड़ का कर्ज चुकाने की योजना बनाई है, जिससे वह Unlisted Entity बने रह सके।
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Conflict of Interest मुद्दा

Venu Srinivasan, जो टाटा संस के वाइस चेयरमैन और RBI के निदेशक हैं, की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

  • लोकसभा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने इस स्थिति को हितों के टकराव (Conflict of Interest) करार देते हुए वित्त मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि यह स्थिति टाटा संस को IPO की अनिवार्यता से बचने में मदद कर सकती है।

Tata Sons की रणनीति

  1. NBFC लाइसेंस सरेंडर
    NBFC के रूप में क्लासिफिकेशन से बचने के लिए कंपनी ने लाइसेंस सरेंडर की अनुमति मांगी।
  2. कर्ज चुकाने का प्रयास
    ₹20,300 करोड़ का कर्ज चुकाकर, कंपनी Core Investment Company (CIC) बनने का प्रयास कर रही है।
  3. लिस्टिंग से बचाव
    CIC बनने के बाद, कंपनी IPO की अनिवार्यता से बच सकती है।

Regulatory Challenges क्या हैं?

RBI और SEBI दोनों ने टाटा संस को सितंबर 2025 तक IPO लाने के लिए बाध्य किया है।

  • RBI का चार-स्तरीय ढांचा:
    Upper Layer NBFCs को लिस्टिंग के लिए सख्त मानकों का पालन करना पड़ता है।
  • SEBI के नियम:
    Upper Layer NBFCs को तीन साल में IPO लाने की आवश्यकता होती है।

Upper Layer NBFC की स्थिति

Upper Layer NBFC का चयन आकार और महत्व के आधार पर किया जाता है।

  • 70% वेटेज एसेट साइज पर आधारित है।
  • 30% वेटेज गुणात्मक मानदंडों पर निर्भर करता है।
  • इन्हें तीन वर्षों में IPO लाना अनिवार्य है।

भविष्य की संभावनाएं

अगर टाटा संस NBFC लाइसेंस सरेंडर करने में सफल होती है, तो IPO की आवश्यकता समाप्त हो सकती है। लेकिन RBI और SEBI के कड़े रुख के चलते, कंपनी को सितंबर 2025 तक IPO लाना पड़ सकता है।

Tata Sons IPO भारतीय बाजार और निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है। हालांकि, कंपनी की रणनीतियां और नियामकीय दबाव इसे जटिल बना रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि टाटा संस आगामी महीनों में क्या निर्णय लेती है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। निवेश से पहले विशेषज्ञ से परामर्श करें।

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