Class 12 Accounts Chapter 1 Notes in Hindi 2021
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साझेदारी का अर्थ या परिभाषा
दो या दो से अधिक व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी वैधानिक व्यापार का संचालन करने के लिए सहमत होते है व्यवसाय में पूंजी लगाते है तथा व्यापार में होने वाले लाभों को आपस में बाटते हैं। इसे साझेदारी कहा जाता है।
भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 को 1अक्टूबर 1932 में लागू किया गया था इससे पूर्व में साझेदारी प्रावधान भारतीय सविदा (अनुबन्ध) अधिनियम 1872 लागू था
भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 4 के अनुसार परिभाषा
साझेदारी उन व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक संबंध होता है जो किसी ऐसे व्यवसाय के लाभों को बाटने के लिए सहमत हुए है जिनका संचालन उन सभी की ओर से या फिर किसी एक के द्वारा किया जाता है।
सर फ्रेडरिक पॉलक के अनुसार परिभाषा
साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का संबंध होता है जहा सभी के द्वारा अथवा सभी की ओर से उनमें से किसी एक के द्वारा व्यापार के लाभों में हिस्सा बाटने के लिए सहमति की जाती है

साझेदार कौन होता है?
साझेदारी के अंतर्गत जितने भी साझेदार अर्थात जितने भी व्यक्ती जुड़े हुए होते है उन सभी व्यक्तियों व्यक्तिगत रूप से साझेदार के नाम से जाना जाता है
फर्म क्या होती है?
साझेदारी (Partnership) के अंतर्गत सम्मिलित होने वाले सभी व्यक्तियों (साझेदारो) को सामूहिक रूप से फर्म के नाम से जाना जाता है तथा साझेदारी के व्यवसाय को साझेदारों (Partners) के द्वारा जिस नाम से स्थापित किया जाता है उसे फर्म कहा जाता है
साझेदारी की विशेषताएं
साझेदारों की संख्या
साझेदारी व्यवसाय कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है अधिकतम सदस्य संख्या के बारे में साझेदारी अधिनियम मे कोई उल्लेख नहीं है। कम्पनी अधिनियम की धारा 464 के अनुसार एक साझेदारी मे साझेदारों की अधिकतम संख्या वह होगी जो निर्धारित की जायेगी, जो 100 से अधिक नही होगी लेकिन कम्पनी (विविध) नियम के नियम 2014 के नियम 10 के अंतर्गत यह संख्या 50 तक सिमित कर दी गई है